युवाओं में बढ़ता एस्ट्रो क्रेज

सुबह उठते ही 24 वर्षीय नेहा अपना राशिफल अखबार में जरूर देखती है। अगर उसके राशिफल में दिन अच्छे होने की बात लिखी हो तो उस दिन वह बहुत खुश नजर आती है। भूले से उसके राशिफल में बुरी-बुरी बातें लिखी हों, तो उस दिन वह कोई भी काम सही तरीके से नहीं कर पाती। पूरा दिन इस बात की घबराहट में निकल जाता है कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए।

नेहा हर काम को करने से पहले एस्ट्रोलॉजर से सलाह भी लेती है। टीवी पर आने वाले एस्ट्रो प्रोग्राम्स को भी देखना नहीं भूलती। इस तरह एस्ट्रोलॉजी पर विश्वास करने वाली नेहा अकेली युवा नहीं हैं। आज हर दूसरा युवा कर्म से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करने लगा है। हर काम करने के पहले ज्योतिषियों की राय जानना चाहता है। परीक्षा हो या इंटरव्यू उसकी तैयारी में एस्ट्रो एडवाइज भी युवाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।

पेरेंट्स युवाओं की इस मानसिकता को लेकर बहुत चिंतित हैं। 55 वर्षीय अशोक दलाल कहते हैं कि आजकल के युवा खुद को कितना भी आधुनिक क्यों न समझ लें मगर हकीकत यह है कि ऐसे युवाओं की कोई कमी नहीं जो ज्योतिष और भविष्यफल में ज्यादा यकीन करते हैं।

नए काम की शुरुआत, स्वास्थ्य में गड़बड़ी, नौकरी संबंधी परेशानी सभी की राय लेने युवा आए दिन ज्योतिष के पास पहुँच जाते हैं। वहीं कर्म पर यकीन रखने वाले अवनीश हैं। उनका कहना है कि समय के साथ युवाओं का नजरिया आधुनिक ही नहीं उदार भी होता जा रहा है। फिर भी ज्योतिषियों के प्रति उनकी आस्था कम नहीं हो पाई है। जब कभी किसी युवा के साथ कोई काम उनके मन मुताबिक नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में उन्हें भविष्य की चिंता सतानी लाजिमी है। मगर इन परस्थिति में यह युवा अपनी खामियों को देखने के बजाए ज्योतिषी की शरण ले लेते हैं।

समाजशास्त्री दिव्या मलिक कहती हैं कि कम उम्र में सब कुछ पाने की चाहत ने युवाओं को ज्योतिष के चक्कर में फँसा रखा है। उन्हें लगता है कि कर्म करने की कोई जरुरत ही नहीं है, जो भी होता है, उनकी कुंडली के हिसाब से होता है। मंदी के समय जब लोगों की नौकरी गई तो यही वजह थी कि ज्योतिष का कारोबार फल-फूल रहा था। सड़क किनारे बैठे ज्योतिष भी युवाओं को मंदी से निकलने के उपाय बता रहे थे।

संदीप, रागिनी, श्रेय जैसे युवा मानते हैं कि कर्म के साथ अगर ज्योतिषियों की सलाह ली जाए तो भविष्य सुनहरा हो जाता है। इन युवाओं ने बताया कि उन्होंने अपने नाम भी न्यूमरोलॉजी के हिसाब से बदले हैं। साथ ही वे अपने कपड़ों के रंग का चुनाव भी ज्योतिष से पूछकर करते हैं।

एस्ट्रोलॉजर वेद प्रकाश का कहना है कि आज के दौर में युवाओं के बीच अनिश्चितता बढ़ गई है। निराश व्यक्ति हमेशा ज्योतिष के शरण में आता है मगर इस चक्कर में भूल जाता है कि भाग्य कर्म से बनता है। हर व्यक्ति का भी नक्षत्र जन्म के समय ही निश्चित हो जाता है।

ज्योतिष केवल किसी व्यक्ति को डूबने से बचाने का उपाय बता सकता है। ज्योतिष का काम प्रतिकूल ग्रहों को ठीक करना है। पूजा-पाठ करने और पत्थर पहनने से कुछ हासिल नहीं होता। कर्म से व्यक्ति का भाग्य निर्भर होता है।
युवाओं में बढ़ता एस्ट्रो क्रेज युवाओं में बढ़ता एस्ट्रो क्रेज Reviewed by Upendra Agarwal on नवंबर 29, 2010 Rating: 5

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