भाव अनुसार मंगल के शुभाशुभ फल । जन्म कुंडली के तृतीय (पराक्रम) भाव मे शुभाशुभ मंगल
कृतो बाहुवीर्य कृतो बहुलक्ष्मीस्तृतीयां न चेन मंगलो मानवानाम।
सहोत्तथ व्यथा भण्यते केन तेषां तपश्चर्या चोहास्य कंथ स्यात।।
अर्थात: जिस जातक के इस भाव में मंगल हो तो वह पराक्रमी होता है तथा पराक्रम से ही आर्थिक उन्नति करता है। उसे अपने भाइयों से विरोध मिलता है। वह कितना भी धार्मिक कार्य करें परंतु उसे सदैव उपहास ही मिलता है। हमने अपने शोध में देखा है की इस मंगल के कारण भाई का भाई से विरोध होता है। विरोध का कारण भी मंगल के कारकत्व की वस्तुएं जैसे भूमि भवन आदि होते हैं। भाइयों का अहम इतना टकराता है कि वह किसी भी मध्यस्थ कि नहीं मानते हैं। उन्हें न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है। परंतु अवसर आने पर वह न्यायालय का भी आदेश ठुकरा सकते हैं।
मंगल स्त्री राशि वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन में होने पर भाई से संबंधित और भी अधिक बुरे फल मिलते हैं। इस घर के मंगल से ऐसा व्यक्ति धैर्यवान साहसी परंतु अंदर से डरपोक, भाई का विरोधी परंतु बहनों से प्रेम करने वाला होता है। ऐसे व्यक्तियों को सदैव किसी भी कागज पर हस्ताक्षर करने तथा किसी की गवाही देने में विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस योग में उपरोक्त कारण से व्यक्ति को स्वयं जेल जाना पड़ सकता है। किसी दुर्घटना का भी भय होता है। यदि पत्रिका में अंग भंग का योग हो तो जातक का दाया हाथ दुर्घटना में जा सकता अथवा गंभीर घायल हो सकता है।
इस घर के मंगल पर कोई शुभ ग्रह की युति अथवा दृष्टि हो तो कुछ अच्छे फल भी मिल सकते हैं। यहां पर उच्च के अतिरिक्त किसी भी राशि में मंगल कि यदि राहु से युति हो तो ऐसा व्यक्ति घर में सुंदर पत्नी होने के बाद भी वेश्यागामी हो सकता है। पुरुष तत्व राशि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ में मंगल माता के लिए कष्टकारी होता है अथवा माता की मृत्यु का कारण बन सकता है माता का गर्भपात भी होता है। क्योंकि ऐसा मंगल भाई के तुरंत बाद भाई को जीवित नहीं रहने देता है। हां भाई के बाद पहले बहन हो फिर भाई का जन्म हो तो अवश्य वह जीवित रह सकता है।
इस घर में मंगल यदि मेष, वृश्चिक अथवा मकर का होने से जीवन स्थिर नहीं होता जीवन में कुछ ना कुछ उतार चढ़ाव लगा ही रहता है। मैंने इस घर के मंगल पर शोध में यह देखा है कि इस घर का मंगल किसी भी स्थिति में शुभ नहीं होता हां केवल पराक्रम के क्षेत्र में जातक अवश्य सफल रहता है। यदि कोई अन्य ग्रह की शुभ दृष्टि अथवा युति हो तो मंगल बुरे फल कम देता है। कोई पापी ग्रह की दृष्टि हो तो मंगल व उस पापी ग्रह के फल में तीव्रता होती है।
जन्म कुंडली के तृतीय (पराक्रम) भाव मे मंगल के शुभाशुभ फल
Reviewed by Upendra Agarwal
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सितंबर 09, 2018
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सितंबर 09, 2018
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