धनतेरस l Dhanteras

प्रचलित कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर दिया था। अतः वर्तमान संदर्भ में भी आयु और स्वस्थता की कामना से धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है। कई श्रद्धालु इस दिन उपवास रहकर यमराज की कथा का श्रवण भी करते हैं। आज से ही तीन दिन तक चलने वाला गो-त्रिरात्र व्रत भी शुरू होता है।

धनतेरस के दिन क्या करें
इस दिन धन्वंतरिजी का पूजन करें।
नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।
सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएँ।
यथाशक्ति ताँबे, पीतल, चाँदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।
हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।
कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएँ।

धनतेरस पूजन में क्या करें
(अ) कुबेर पूजन

शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएँ अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें।
पश्चात नवीन बसना बिछाएँ।
सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करते हैं।

कुबेर का ध्यान
निम्न ध्यान बोलकर भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएँ -

श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ।
इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें -
'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।


धनतेरस पर सोना नहीं पीतल खरीदें 

कार्तिक मास में त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व है। विशेषकर चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह शुभ दिन माना गया है। अधिकांश आयुर्वेदिक औषधियाँ इस दिन निर्माण के उपरांत अभिमंत्रित की जाती है। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से इसी दिन प्रकट हुए थे।

इस दिन सायंकाल यम को दीपदान किया जाता है। कहते हैं इससे यमराज के भय से छुटकारा मिलता है। गृहलक्ष्मी अगर दीपदान करें तो पूरे परिवार के रोग-शोक नष्ट होते हैं। व्यापारी वर्ग के लिए इस दिन बहीखाते खरीदने का महत्व है। इस दिन खरीदे बहीखाते गद्दी पर स्थापित किए जाते हैं और दीपावली पर पूजे जाते हैं। इस दिन तिजोरी में अक्षत रखे जाते हैं। ऐसा करने से तिजोरी में कुबेर का वास होता है। लक्ष्मीजी के आह्वान का भी यही दिन होता है।

पौराणिक मान्यता है कि माँ लक्ष्मी को विष्णु जी का श्राप था कि उन्हें 13 वर्षों तक किसान के घर में रहना होगा। श्राप के दौरान किसान का घर धनसंपदा से भर गया। श्रापमुक्ति के उपरांत जब विष्णुजी लक्ष्मी को लेने आए तब किसान ने उन्हें रोकना चाहा। लक्ष्मीजी ने कहा कल त्रयोदशी है तुम साफसफाई करना, दीप जलाना और मेरा आह्वान करना। किसान ने ऐसा ही किया और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की । तब ही से लक्ष्मी पूजन की प्रथा चल पड़ी।




इस धनतेरस की विशेष बात यह है कि इस दिन सोना नहीं खरीदें क्योंकि इस दिन सोना खरीदने से घर में चंचलता आ सकती है । बल्कि पुष्य नक्षत्र में खरीदा सोना इस दिन विधिवत पूजा जा सकता है । इससे घर में लक्ष्मी का शुभ स्थायी वास होता है।

इस दिन पीतल और चाँदी खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल भगवान धन्वंतरी की धातु है। पीतल खरीदने से घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभता आती है।

चाँदी कुबेर की धातु है। इस दिन चाँदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है। 

चाँदी एवं पीतल खरीदने के मुहूर्त
धनतेरस विशेष मुहूर्
1. 12.02
से 12.40 दोपहर तक
2. 5.27
से 6.15 शाम तक (खरीददारी विशेष मुहूर्त)
3. 5.55
से 7.35 शाम तक (पूजन विशेष मुहूर्त) 
धनतेरस l Dhanteras धनतेरस l Dhanteras Reviewed by Upendra Agarwal on नवंबर 03, 2010 Rating: 5

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