व्यवसाय व्यवधान के उपाय ।। व्यवसाय संबंधित उपाय
व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धोकर स्वच्छ शुद्व कर ले।
इसके पश्चात हल्दी से स्वास्तिक बनाले और उसपर चने की थोड़ी सी दाल और गुड़ रख दे।
इसके बाद स्वास्तिक को बार बार न देखे।इस प्रतिक्रिया को कम से कम 11 गुरुवार अवश्य करे।
पहले चढ़ाय हुए गुड़ और दाल को मंदिर में चढ़ा दे।
उपाय 1 - जिन व्यापारियों को व्यापार में निरंतर हानि हो रही है, वे गायत्री मंत्र के द्वारा हवन करवाय।व्यापार स्थल के हवन की विभूति को किसी सफेद रंग के वस्त्र में डालकर घर मे तथा व्यापार स्थल पर रखें।हानि होनी बंद हो जायेगी।व्यापार की स्थिति सुदृढ़ होगी।चिंतित होने पर और अस्वस्थ होने पर इस हवन की कुछ विभूति का तिलक करें तथा जीभ से भी चाटे, शारीरिक कष्ट दूर होगी तथा व्याधि से मुक्ति प्राप्त होगी।
उपाय -2 - व्यापार में विघ्नों - बाधायें आने पर नित्य प्रातः काल स्नान के पश्चात सूर्यदेव को जल अर्पित करे।गायत्री और सूर्य का मंत्र उच्चारित करे।एवं महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली का धेयान करे।पुष्प चढ़ाय और घी के दीपक महालक्ष्मी को दिखाय।तुलसी में एक लोटा जल चढ़ाय।
महालक्ष्मी की आरती करें और घी, शक्कर का भोग लगाएं।
ऐसा सवा महीना नियमित करने पर व्यापार में उन्नति होगी।
महालक्ष्मी की आरती करें और घी, शक्कर का भोग लगाएं।
ऐसा सवा महीना नियमित करने पर व्यापार में उन्नति होगी।
उपाय - 3 यदि अनेक प्रयत्नों के उपरांत भी बिक्री नही बढ़ रही हो तो, किसी भी महीने के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से यह उपाय करें।
व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धोकर स्वच्छ शुद्व कर ले।
इसके पश्चात हल्दी से स्वास्तिक बनाले और उसपर चने की थोड़ी सी दाल और गुड़ रख दे।
इसके बाद स्वास्तिक को बार बार न देखे।इस प्रतिक्रिया को कम से कम 11 गुरुवार अवश्य करे।
पहले चढ़ाय हुए गुड़ और दाल को मंदिर में चढ़ा दे।
व्यवसाय संबंधित उपाय
Reviewed by Upendra Agarwal
on
सितंबर 06, 2018
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