चंद्र राशि व उसका स्वामी चंद्र स्वतंत्र हो। ऐसे जातक स्वप्रयत्नों से विद्या पाता है। गुरु का शुभ होना आवश्यक है। गुरु लग्न में चंद्र के साथ हो तो गणितज्ञ, सीए, वकील, बैंक फर्म में या जलीय वस्तु के व्यापार- डेयरी आदि में सफलता का कारक बनता है। चंद्र के साथ सूर्य हो तो बाधा आती रहती है। विद्या, संतान, परिश्रम में, शारीरिक स्वास्थ्य में कमी लाता है।
चंद्र मंगल के साथ में हो तो उत्तम योग, दो त्रिकोण के मालिक मिल जाएँ तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। यदि गुरु भी साथ हो तो लक्ष्मी पुत्र होगा। बुध साथ हो पत्नी पढ़ी-लिखी होगी। शुक्र साथ हो तो धन लाभ अच्छा मिलेगा। शनि साथ तो साँवला रंग का होगा। राहु साथ होने पर व्यसनी और केतु साथ होने पर जिद्दी होगा।
चंद्र पंचमेश होकर द्वितीय वाणी, धन, कुटुंब में होकर मेष राशि वाला होगा। यदि मंगल साथ हो तो धन-धान्य से भरपूर, वाणी सशक्त हो, कुटुंब से साथ मिले। स्वविवेक से सफलता पाने वाला होता है। शुक्र साथ हो तो उस जातक का दाम्पत्य जीवन ठीक नहीं रह पाता है, लेकिन आयु उत्तम होती है। शनि साथ होने पर धन न बचे। वाणी खराब हो और जेल भी जा सकता है। राहु साथ हो तो चतुर वाणी हो व थाप निकालने में चतुर हो। केतु साथ हो तो मानसिक चिंता दे और धन न बचे।
चंद्र तृतीय में हो तो वृषभ राशि होगी, ऐसे जातक का स्वर मधुर होगा, पराक्रमी रहेगा। सूर्य साथ हो तो शत्रु से परेशान, भाइयों से मनमुटाव रहे। मंगल साथ हो तो भाग्य से काम बने, भाई न हो, मित्रों में हानि। बुध साथ हो तो माता से सुख में कमी महसूस करें।
चंद्र गुरु साथ हो तो मिले-जुले परिणाम मिले। आर्थिक लाभ में कमी मिले। चंद्र शनि साथ हो तो शत्रु न हो। केतु साथ हो तो माता को कष्ट, सुख में कमी रहे। बार-बार स्थानांतरण हो। मंगल साथ हो तो भाग्य से सुखों में वृद्धि होगी। मांगलिक होते हुए भी मांगलिक प्रभाव न हो।
गुरु साथ हो तो पिता, राज्य से लाभ मिले, सुख हो। शुक्र साथ हो तो अनेक स्त्रियों से संबंध हों। शनि साथ हो तो माता की उम्र अधिक हो। राहु साथ हो तो राजनीति में सफलता मिले। केतु साथ होने पर माता का ऑपरेशन हो व कार्य में बाधा बने।
मीन लग्न में पंचमेश चंद्र
Reviewed by Upendra Agarwal
on
जुलाई 02, 2011
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