बाहरी संबंधों में बाधा का कारण
यदि मंगल सूर्य की राशि सिंह में हो तो विपरीत राजयोग देने से ऐसा जातक अपनी बुलंदियों तक पहुँच जाता है। एकादशेश सूर्य अष्टम में हो तो आय के मामलों मे बाधा का कारण बनता है। मिथुन का सूर्य दशमेश होने से व्यापार-व्यवसाय में, पिता से, अधिकारी वर्ग से कष्टकारक रहता है। भाग्येश सूर्य अष्टम में सम कर्क की राशि में होने के कारण कुछ कम हानिप्रद रहता है, फिर भी भाग्योन्नति में बाधा हो तो उस जातक को उत्तम माणिक पहनना चाहिए। कन्यागत सूर्य हो तो दाम्पत्य जीवन में बाधा का कारण बनता है। उसका जीवनसाथी रोगी रहता है।
कुंभ का अष्टम भावगत द्वितीयेश होने से धन कुटुम्ब से परेशानी का कारण बनता है। ऐसे जातक में वाणी का भी दोषी रहता है। यदि अशुभ फल मिलते हो तो मकान का द्वार दक्षिण दिशा में न रखें व गुड़ व गेहूँ आठ दिनों तक लगातार मन्दिर में चढ़ाएँ। इस प्रकार सूर्य के अशुभ प्रभाव में कमी महसूस करेंगे।
जब सूर्य हो अष्टम भाव में
Reviewed by Upendra Agarwal
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मार्च 28, 2011
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