पूर्ण सफलतादायक है रुद्राक्ष- भाग 4

gyarahmukhi rudraksh


एकादशमुखी रुद्राक्ष : यह एकादश रुद्र का प्रतीक है। उसे धारण करने पर किसी चीज का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। संक्रामक रोगों के नाश के लिए तथा स्त्रियों को धारण करने पर पुत्र प्राप्ति में निश्चित लाभ होता है।

bharahmukhi rudraksh


द्वादशमुखी रुद्राक्ष : यह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। हृदयरोग में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

trayodashmukhi rudraksh


त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष : साक्षात विश्वेश्वर भगवान का स्वरूप है यह। सभी प्रकार के अर्थ एवं सिद्धियों की पूर्ति करता है। यश-कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है। लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। धारक की सभी इच्छाएँ स्वत: पूरी होती जाती हैं।

chaturdashmukhi rudraksh


चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष : यह साक्षात त्रिपुरारी का स्वरूप है। स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है। इसमें हनुमानजी की शक्ति निहित है। धारण करने पर आध्यात्मिक तथा भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। धारक भी निरंतर उन्नति करता है। (क्रमश:)
पूर्ण सफलतादायक है रुद्राक्ष- भाग 4 पूर्ण सफलतादायक है रुद्राक्ष- भाग 4 Reviewed by Upendra Agarwal on फ़रवरी 16, 2011 Rating: 5

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