* आठवाँ पूजन शुक्ल पक्ष में रविवार, मंगलवार एवं बृहस्पतिवार को पति का चन्द्रमा देखकर कर लें। पड़वा (एकम), छठ, नवमी तथा क्षय तिथि को आठवाँ पूजन नहीं करें।
* प्रसूति स्नान रविवार, मंगलवार, गुरुवार को करना हितकर है। अन्य वारों को यह काम नहीं करें। खासकर शतभिषा नक्षत्र और उपरोक्त वार हों।
* जलवा (कुआँ पूजन) सोम, बुध, गुरुवार को जलवा पूजन करना हितकर है। चैत्र, पौष, अधिक मास, मलमास व तारा डूबने पर यह काम नहीं करें।
* ग्रह शांति अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल एवं रेवती, मूल संज्ञक नक्षत्र में यदि किसी बालक का जन्म हो, तो 27 दिन बाद जब वह नक्षत्र आए तो ग्रहशांति कराएँ। अन्य नक्षत्रों में पैदा होने पर ग्रहशांति की आवश्यकता नहीं होती है।
* जडूला (मुंडन) शुक्ल पक्ष में तीसरे, पाँचवें व सातवें वर्ष में मुंडन करने का विधान है। चैत्र मास एवं ज्येष्ठ पुत्र का ज्येष्ठ माह में मुंडन नहीं कराएँ तथा दो मुंडन एक साथ नहीं किए जाते हैं। ध्यान रखें।
* नामकरण संस्कार रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार को स्थिर लग्न एवं नक्षत्र चरण के आधार पर नामकरण कराएँ। सही अक्षर नहीं आने पर नक्षत्र राशि के अन्य अक्षरों पर यह काम किया जा सकता है। रिक्ता तिथि को कभी नहीं करें।
* यात्रा चर लग्न, द्विभाव लग्न में चन्द्रमा देखकर करें। चन्द्रमा सम्मुख या दाहिने रखें। स्थिर लग्न, दिशाशूल में यात्रा नहीं करें। शुभ समय न हो और यात्रा करना जरूरी हो तो वार के अनुसार परिहार कर लें।
* अभिजीत मुहूर्त- सभी कार्य अभिजीत में किए जा सकते हैं। लेकिन शुक्रवार को नहीं करें।
शुभ मुहूर्त में करें शुभ कार्य...
Reviewed by Upendra Agarwal
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जनवरी 31, 2011
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