व्यवसाय या नौकरी में उन्नति -प्रमोशन

अधिकांश जातकों का प्रश्न होता है कि उन्हें व्यवसाय अथवा सर्विस में प्रमोशन कब मिलेगा? कुछ व्यक्तियों को अत्यधिक परिश्रम के बाद आशा के अनुरुप सफलता नहीं मिल पाती है और कुछ की थोडी सी मेहनत ही ऎसा रंग लाती है कि प्राप्त सफलता पर उसे स्वयं विश्वास नहीं होता है.

सफलता किसके चरण चूमती है. और कब कोई उन्नति के शिखर पर पहुंचता है. इससे ज्योतिष से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है. इसमे उन्नति के समय का निर्धारण किया जाता है.

1. तीन वर्ग कुण्डलियां
जन्म कुण्डली जीवन की सभी सूचनाओं का चित्र है. मोटी मोटी बातों को जानने के लिये जन्म कुन्डली को देखने से प्रथम दृ्ष्टि मे ही जानकारी हो जाती है. सूक्ष्म अध्ययन के लिये नवांश कुण्डली को देखा जाता है. व्यवसाय मे उन्नति के काल को निकालने के लिये दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है . इन तीनों कुण्डलियों में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है .

तीनों वर्ग कुन्डलियों से जो ग्रह दशम/एकादश भाव या भावेश विशेष संबध बनाते है. उन ग्रहों की दशा, अन्तरदशा में उन्नति मिलने की संभावना बनती है . कुण्डलियों में बली ग्रहों की व शुभ प्रभाव के ग्रहों की दशा मे भी प्रमोशन मिल सकता है. एकादश घर को आय की प्राप्ति का घर कहा जाता है. इस घर पर उच्च के ग्रह का गोचर लाभ देता है.

2. पद लग्न से 
पद लग्न वह राशि है जो लग्नेश से ठीक उतनी ही दूरी पर स्थित है. जितनी दूरी पर लग्न से लग्नेश है. पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तरदशा या दशमेश/ एकादशेस का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है. पद लग्न से दशम / एकादश भाव पर दशमेश या एकादशेस का गोचर होने पर भी लाभ प्राप्ति की संभावना बनती है.

3. महत्वपूर्ण दशाये
ज्योतिष मह्र्षि पराशर के अनुसार लग्नेश, दशमेश व उच्च के ग्रहों की दशाएं व्यक्ति को सफलता देती है. इन दशाओं का संबध व्यवसाय के घर या आय के घर से होने से आजिविका में वृ्द्धि होती है. इन दशाओं का संबध यदि सप्तम या सप्तमेश से हो जाये तो सोने पे सुहागे वाला फल समझना चाहिए .

4. दशमेश नवाशं मे जिस राशि मे जाये उसके स्वामी से संबध
जन्म कुण्डली के दशवें घर का स्वामी नवाशं कुण्डली में जिस राशि में जाये उसके स्वामी के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय व उसपर बली ग्रह की दशा/ गोचर उन्नति के मार्ग खोलता है. इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति को अपनी मेहनत में कमी न करते हुए अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए. उन्नति के समय में आलस्य व्यक्ति को मिलने वाले शुभ फलों में कमी का कारण बन सकता है.

5. गोचर
उपरोक्त चार नियमों का अपना विशेष महत्व है. पर इच्छित फल पाने के लिये गोचर का सहयोग भी लेना आवश्यक है. कुण्डली में उन्नति के योग हो, पद लग्न पर शुभ प्रभाव हो, दशवे घर व एयारहवे घर से जुडी दशाएं हो व गुरु शनि का गोचर हो तो व्यकि को मिलने वाली उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है.

12.12.1951 ,जन्म समय ,9.11 बजे जन्म स्थान दिल्ली. यह व्यक्ति पेशे से आर्किटेक्ट है.

जिन्हें गुरु की महादशा मे बुध की अन्तरदशा अक्तूबर 1989 से फरवरी 1992 तक के दौरान 1989 में बहुत बडी कम्पनी मे काम मिला. तब से लेकर व्यक्ति ने सफलता की विशेष उच्चाईयां चढी. व उन्हे जीवन में पीछे मुडके देखने की जरुरत नहीं महसूस हुई.

इस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न/लग्नेश, व दशम/ दशमेश की स्थिति बहुत अच्छी है. बुध दशमेश को पंचमेश/ द्वादशेश तथा दिगबली मंगल की दृ्ष्टि है. लग्नेश स्वग्रही है. शनि दशम घर में अमात्यकारक होकर स्थित है. शनि मंगल दोनो के दशम घर में होने से पराक्रम व मेहनत, लगन सभी एक साथ व्यक्ति में आ रहा है.

नवाशं में दशमेश बुध मंगल के साथ सप्तम घर में स्थित है. जिनपर लग्नेश गुरु की दृ्ष्टि है. दशमाशं कुण्डली में दशमेश शुक्र पर मंगल व शनि दोनो की दृष्टि होने से फल अच्छे हो रहे है. व्यक्ति के जीवन मे व्यवसायिक उन्नति की संभावनायें बहुत अच्छी है.

पद लग्न मिथुन राशि में स्थित है. जिसे पद लग्न स्वामी बुध देख बल दे रहे है. पद लग्न को शनि भी देख रहे है जिससे पद लग्न में ओर शुभता आ रही है.

गुरु/ बुध की दशाओं में व्यक्ति को उन्नति मिली. गुरु/ बुध का संबध आय व व्यवसाय से सभी जगह आ रहा है. गुरु बुध मे से एक लग्नेश है तो दूसरा दशमेश है. दोनों बली होकर स्थित है. इसये इन दोनो ग्रहों के फल विशेष रुप से मिलने की संभावना है. दोनों का दृष्टि संबध एक राजयोग भी बना रहा है.

गोचर को देखे तो दिसम्बर 1989 में दोनों ग्रह गुरु/ बुध मिथुन व धनु मे गोचर कर रहे थे. अर्थात दोनों ही एक दूसरे की राशियों में गोचर कर रहे थे
Reviewed by Upendra Agarwal on अगस्त 05, 2010 Rating: 5

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