सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ज्योतिषीय सलाह



विवाह से पूर्व इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वर और कन्या की आयु में अधिक अंतर नहीं हो.आर्थिक स्थिति के कारण भी पारिवारिक जीवन में कलह उत्पन्न होता है अत: आर्थिक मामलों की अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही विवाह की बात आगे चलाना चाहिए.संभव हो तो वर और वधू की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की भी जांच करवा लेनी चाहिए इससे विवाह के पश्चात आने वाली बहुत सी उलझनें सुलझ जाती हैं.

कुण्डली और गुण मिलान
उपरोक्त बातों की जांच पड़ताल करने के बाद वर और वधू की कुण्डली मिलान  कराना चाहिए.कुण्डली मिलान  करते समय जन्म कुण्डली की सत्यता पर भी ध्यान देना चाहिए.मेलापक में 36 गुणों में से कम से कम 18 गुण मिलना शुभ होता है.मेलपाक में 18 गुण होने पर इस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गण मैत्री और नाड़ी दोष नहीं हो.वर वधू की राशि का मिलान भी करना चाहिए.राशि मिलान के अनुसार वर और कन्या क्रमश: अग्नि एवं वायु तत्व तथा भूमि एवं जल तत्व के होने पर वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बना रहता है.

मेलापक में राशि विचार
वर और कन्या की राशियों के बीच तालमेल का वैवाहिक जीवन पर काफी असर होता है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर वर और कन्या की राशि समान हो तो उनके बीच परस्पर मधुर सम्बन्ध रहता है.दोनों की राशियां एक दूसरे से चतुर्थ और दशम होने पर वर वधू का जीवन सुखमय होता है.तृतीय और एकादश राशि होने पर गृहस्थी में धन की कमी नहीं रहती है.ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि वर और कन्या की कुण्डली में षष्टम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में समान राशि नहीं हो.

वर और कन्या की राशि अथवा लग्न समान होने पर गृहस्थी सुखमय रहती है परंतु गौर करने की बात यह है कि राशि अगर समान हो तो नक्षत्र भेद होना चाहिए अगर नक्षत्र भी समान हो तो चरण भेद आवश्यक है.अगर ऐसा नही है तो राशि लग्न समान होने पर भी वैवाहिक जीवन के सुख में कमी आती है.

कुण्डली में दोष विचार
विवाह के कुण्डली मिलान करते समय दोषों का भी विचार करना चाहिए.कन्या की कुण्डली में वैधव्य योग, व्यभिचार योग, नि:संतान योग, मृत्यु योग एवं दारिद्र योग (Daridra Yoga) हो तो ज्योतिष की दृष्टि से सुखी वैवाहिक जीवन के यह शुभ नहीं होता है.इसी प्रकार वर की कुण्डली में अल्पायु योग, नपुंसक योग, व्यभिचार योग, पागलपन योग एवं पत्नी नाश योग रहने पर गृहस्थ जीवन में सुख का अभाव होता है.

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कन्या की कुण्डली में विष कन्या योग (Vish Kanya Yoga) होने पर जीवन में सुख का अभाव रहता है.पति पत्नी के सम्बन्धों में मधुरता नहीं रहती है.हलांकि कई स्थितियों में कुण्डली में यह दोष प्रभावशाली नहीं होता है अत: जन्म कुण्डली के अलावा नवमांश और चन्द्र कुण्डली से भी इसका विचार करके विवाह किया जा सकता है.
Reviewed by Upendra Agarwal on अगस्त 25, 2010 Rating: 5

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