होली आनन्द और उल्लास का वो पर्व है जो सारे देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है | बंगाल को छोड़ कर पूरे देश में होली जलाई जाती है | बंगाल में इस दिन श्री कृष्ण की प्रतिमा को झूला झूलाने का प्रचलन है | हालाँकि वहां भी तीन दिन के लिये पूजा मण्डप में अग्नि जलाई जाती है | होली के मौजूदा स्वरुप का जिक्र जैमिनी गृह सूत्र , (1 /3 /15 -16) काठक गृह सूत्र (73 /1 ) लिंग पुराण , बाराह पुराण , हेमाद्रि ,और भविस्योत्तर पुराण के अलावा वात्स्यायन के काम सूत्र में भी आया है |
निर्णय सिन्धु पृष्ठ 227 , स्मृति कौस्तुभ पृष्ठ (516 से 519 ) और पुरश्चरण चिन्तामणि के पृष्ठ (३०८ से ३१९ ) पर होली का वर्णन अत्यन्त विस्तार से होता है | भविस्योत्तर पुराण और कामसूत्र ने इसका सन्बन्ध वसन्त ऋतु के आगमन से कर दिया वास्तव में होलिका हेमन्त यानि पतझड़ के आगमन की सूचना देती है और बसन्त की प्रेममय काम लीलाओं की घोतक है | मस्ती से भरे गाने रंगों की फुहार और संगीत बसन्त के आने के उल्लास पूर्ण समय का परिचय देते है | जो रंगों से भरी पिचकारियों और अबीर गुलाल के आपसी आदान प्रदान को प्रकट होती है | कहीं कहीं दो तीन दिन तक मिट्टी का कीचड़ और गानों से मतवालें होकर होली का हुडदंग मचाते है | कहीं कहीं लोग भद्दे मजाकों और अश्लील गानों से अपनी कैथरिसिस करते है |
होली के मौके पर होलिका दहन की ख़ास है | चौराहे पर जली हुई होली की आग से मन्त्रो के अनुष्ठान करके प्यार , पैसा और शोहरत पाई जा सकती है | किसी को अपने वश में किया जा सकता है | और बुरे ग्रहों के उपचार किये जा सकते है | साल की चार महत्वपूर्ण तान्त्रिक रातों में एक होली की भी रात होती है | इस दिन कोशिश करके अपनी उन्नति का रास्ता खोला जा सकता है | दूसरों के ब्लैक मैजिक से बचा जा सकता है | माता सरस्वती और माता महालक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है |
किस रिश्ते के किस अंग में रंग लगायें :-
माता - पैर ,पिता -छाती ,पत्नी / पति - सर्वांग ,बड़ा भाई -मस्तक ,छोटा भाई - भुजायें, बड़ी बहन - हाथ और पीठ, छोटी बहन - गाल, बड़ी भाभी / देवर - हाथ और पैर (ननद और देवरानी सर्वांग में ) छोटी भाभी -सर और कन्धे (ननद सर्वांग में रंग लगायें ) चाची / चाचा - सर से रंग उड़ेले , साले सरहज - कोई अंग बचने न पायें ताई / ताऊ - पैर और माथे पर , मामा / मामी - बच कर जाने न पायें , बुआ / फूफा - जी भर कर रंग लगायें, मौसी , / मौसा - डिस्टेन्स मेन्टेन करके रंग लगायें , पड़ोसी- सिर्फ सूखा रंग ही लगायें उसमे इत्र जरुर डालें , मित्र - मर्यादायें भूल कर रंग लगायें , बॉस - माथे पर टिका लगायें , बॉस की पत्नी - हाथ में रंग का पैकेट देकर नमस्कार कर लें , शिष्टाचार की सीमा के अन्दर रंग लगायें , अनजाने व्यक्तियों को - सामाजिक मर्यादा और शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखें |
एक बार फिर दोहरा दूं पति -पत्नी को आपस में जी भर कर होली खेलना अत्यन्त शुभ शकुन माना जाता है |
किस राशि वाले किस रंग से होली खेले
(1) मेष - लाल
(2) वृष - नीला
(3) मिथुन - हरा
(4) कर्क - गुलाबी
(5) सिंह - आंरेन्ज
(6) कन्या - हरा
(7) तुला - नीला
(8) वृश्चिक - मैरून
(9) धनु - पीला
(10) मकर - नीला
(11) कुम्भ - परपल
(12) मीन - पीला
आप चाहें तो अपने रंगों अबीर गुलाल में खुशबू मिला सकते है |
किस राशि वाले कौन सी खुशबू मिलायें-
(1) मेष - गुलाब
(2) वृष - चमेली
(3) मिथुन - चम्पा
(4) कर्क - लवैन्डर
(5) सिंह - कस्तूरी
(6) कन्या - नाग चम्पा
(7) तुला -बेला
(8) वृश्चिक - रोज मैरी
(9) धनु -- केसर
(10) मकर -मुश्कम्बर
(11) कुम्भ - चन्दन
(12) मीन - लैमन ग्रास
किस रंग के कपड़े पहने
(1) मेष - कॉटन लाल या मैरून
(2) वृष - सिल्क सफेद या स्काईब्लू
(3) मिथुन - सिन्थैटिक ग्रीन
(4) कर्क- कॉटन सफेद / पिंक
(5) सिंह -लिनिन ऑरेन्ज / सफेद
(6) कन्या - ग्रीन कॉटन
(7) तुला - स्काईब्लू / सफेद सिल्क
(8) वृश्चिक - मैरून या ब्राउन कॉटन
(9) धनु - सिल्क क्रीम
(10) मकर - सिन्थैटिक ब्लू या brown
(11) कुम्भ - ब्लू या black
(12) मीन - सिल्क golden yellow
किस राशि वाले क्या खिलायें :-
मेष - मसूर की दाल की बनी कोई चीज
वृष - कोई सुगन्धित मिठाई
मिथुन - मूंग की दाल से बनी कोई चीज
कर्क - दूध से बनी कोई चीज
सिंह - गरम -गरम कोई चीज
कन्या - पिस्ते से बनी कोई मिठाई
तुला - दही या मलाई से बनी कोई चीज
वृश्चिक - कोई ऐसी चीज जिसमे लाल मिर्च पड़ी हो
धनु - केसर से बनी कोई मिठाई या गुझिया
मकर - चाँकलेट या काली मिर्च से बनी कोई चीज
कुम्भ - दही बड़े या कोई चीज जिसमे काला नमक
मीन - बेसन से बनी कोई मिठाई
यूँ तो होली में हमारे घर में तरह -तरह के पकवान बनाने और खिलाने का रिवाज है | लेकिन सवाल ये है कि वो कौन सी चीज है जो आप अपने हाथ से उठा कर मेहमानों को पेश करें जिससे आपकी किस्मत और मेहमानों की तबियत दोनों ही खिल उठें |
यूँ तो होली में हमारे घर में तरह -तरह के पकवान बनाने और खिलाने का रिवाज है | लेकिन सवाल ये है कि वो कौन सी चीज है जो आप अपने हाथ से उठा कर मेहमानों को पेश करें जिससे आपकी किस्मत और मेहमानों की तबियत दोनों ही खिल उठें |
होली पर विशेष
Reviewed by Upendra Agarwal
on
मार्च 14, 2011
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